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अष्ट लक्ष्मी पूजा (Astha-Lakshmi Pooja)

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अष्ट लक्ष्मी पूजा एक पावन और विशेष आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जो मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और जीवन में धन, वैभव, सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में सहायक है।

अष्ट महालक्ष्मी के स्वरूप

महालक्ष्मी का स्वरूप केवल धन तक सीमित नहीं है। उनके आठ रूप जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में सुख, समृद्धि और संतोष प्रदान करते हैं। इन्हें सामूहिक रूप से अष्टलक्ष्मी कहा जाता है –

आदि लक्ष्मी (Adi Lakshmi)

इन्हें मूल शक्ति और अनन्त लक्ष्मी कहा जाता है।

यह भक्तों को आत्मिक शक्ति, धैर्य और आध्यात्मिक उन्नति देती हैं।

धन लक्ष्मी (Dhana Lakshmi)

भौतिक सुख, धन, समृद्धि और भंडार की अधिष्ठात्री देवी।

इनकी पूजा से आर्थिक स्थिरता और व्यापारिक लाभ होता है।

धान्य लक्ष्मी (Dhanya Lakshmi)

अन्न, अनाज और जीवन-आवश्यक वस्तुओं की अधिष्ठात्री।

इनकी कृपा से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।

गज लक्ष्मी (Gaja Lakshmi)

ऐश्वर्य, विजय और राजसत्ता प्रदान करने वाली।

इन्हें प्रायः दो गजों (हाथियों) के साथ दर्शाया जाता है।

संतान लक्ष्मी (Santana Lakshmi)

संतान सुख, वंशवृद्धि और बच्चों की दीर्घायु व स्वास्थ्य की अधिष्ठात्री।

वीर लक्ष्मी (Veera Lakshmi)

वीरता, साहस, युद्ध और संकट पर विजय देने वाली।

ये आत्मबल और निर्भीकता प्रदान करती हैं।

विद्या लक्ष्मी (Vidya Lakshmi)

विद्या, ज्ञान, कला और शिक्षा की देवी।

विद्यार्थी, शिक्षक और ज्ञानसाधक इनकी उपासना करते हैं।

विजय लक्ष्मी (Vijaya Lakshmi)

जीवन में सफलता, प्रतियोगिता में विजय और शत्रु पर पराजय दिलाने वाली।

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Description

अष्टलक्ष्मी पूजन का महत्व

अष्टलक्ष्मी पूजन का अर्थ है – देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूपों की विधिपूर्वक आराधना करना। यह पूजन साधक को धन, वैभव, ज्ञान, शक्ति और सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करता है।

अष्टलक्ष्मी पूजन के लाभ:

  • आठों रूपों की महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
  • जीवन में धन, सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।
  • व्यवसाय और करियर में उन्नति होती है।
  • परिवार में शांति, प्रेम और एकता बनी रहती है।
  • मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

अष्टलक्ष्मी पूजन में क्या होता है:

  • वैदिक परंपरा अनुसार अष्टलक्ष्मी मंत्रों का जप एवं स्तोत्र पाठ किया जाता है।
  • देवी लक्ष्मी का आवाहन, पूजन और हवन किया जाता है।
  • साधक/परिवार की समृद्धि और उन्नति हेतु विशेष आशीर्वाद दिया जाता है।
  • अंत में प्रसाद और आशीर्वचन प्रदान किए जाते हैं।

समय:

दीवाली, अक्षय तृतीया, शुक्रवार, पूर्णिमा या नवरात्रि विशेष शुभ माने जाते हैं।

👉 अष्टलक्ष्मी पूजन से जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य के द्वार खुलते हैं।

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