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Our Vision

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Meet Our Expert आचार्य डाo नवीन शर्मा (विद्यानंद)

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आचार्य डाo नवीन शर्मा जी अध्यात्म और ज्योतिष के अनेक आयाम जैसे वैदिक ज्योतिष, वास्तु, हस्त रेखा, अंक शास्त्र जैसी दुर्लभ ज्ञान को फैलाने में पिछले 25 वर्षों से प्रयासरत हैं। 
गहरी विद्या जैसे तंत्र मंत्र और यंत्र दर्शन का वैज्ञानिक दृष्टिकोण लोगों के समक्ष लाने में सन्लगन हैं। अपने जीवनकाल में गहरी साधनाओ के बाद ऋषि मुनियों की धरोहर को जन जन तक पहुंचाने में संलग्न आचार्य जी भारत में कई जगह शिविरों का आयोजन करते हैं।
यज्ञों, दीक्षा और शक्तिपात के माध्यम से ईश्वर और गुरुओं की रश्मियों को बिखेरते हुए आचार्य जी जन कल्याण को प्राथमिकता देते हैं, और आपका आवाहन करते हैं इस दिव्य पथ पर चलने के लिए।
12 वर्ष की आयु से ही आचार्य जी, गुरुओं से दीक्षा प्राप्त कर साधनाओं में संलग्न हो गए और अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण साधनाएं करने के बाद लोगों के मार्गदर्शन में समय व्यतीत करने लगे।
*वैसे तो कई साधना आचार्य जी ने अपने जीवन काल में संपन्न की है जिनमें मुख्य साधनाएं जैसे महाकाली साधना, महालक्ष्मी साधना दुर्गा प्रत्यक्षिकरं साधना, कामाख्या साधना, बग्लामुखी साधना, तारा साधना, छिंनमस्ता साधना, धूमावती साधना , कमला साधना, मातंगी साधना, ऐसी कई महत्वपूर्ण साधनाएं आचार्य जी ने अपने जीवन काल में संपन्न की हैं।*
जो भी साधक अपने जीवन काल मे ऐसी दिव्य साधनाओं को संपन्न करना चाहता है स्वामी जी उनके लिए स्वयं उनका मार्गदर्शन करते हैं दिक्षाओं के द्वारा सहज ही इन दुर्लभ साधनाओं को प्रदान करते हैं और आवाहन करते हैं उन्हें इच्छुक साधकों का जो जीवन में प्रत्यक्ष देवी देवताओं को सिद्ध कर अपना और जन कल्याण कर सकें।


जीवन यात्रा विवरण

(25 वर्षों के अनुभवी ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा एवं वास्तु विशेषज्ञ, अंक-ज्योतिषी, ध्यान मार्गदर्शक तथा आध्यात्मिक गुरु)

1. प्रारम्भिक जीवन एवं अन्तर्निहित झुकाव बाल्यकाल से ही रहस्यमय विषयों के प्रति गहरी जिज्ञासा—राशि-चक्र, ग्रह-गोचर व हाथ की रेखाओं में भविष्य के संकेत खोजने की स्वाभाविक प्रवृत्ति।
पारिवारिक परिवेश में धर्म-कर्म का वातावरण, जिसने प्राचीन शास्त्रों के प्रति श्रद्धा व अध्ययन-वृत्ति को पोषित किया।

2. साधनात्मक शिक्षा एवं विधिवत् गुरुकुल-दीक्षा किशोरावस्था में वैदिक गुरुकुल में प्रवेश; वहाँ पंचांग-निर्माण, फलित-ज्योतिष, हस्तरेखा शास्त्र तथा अंक-विज्ञान के मूल सूत्र सीखे।
परम्परागत शिष्यमाला-पद्धति के अनुसार दशा-समीक्षा, गोचर-विश्लेषण एवं वास्तु-दर्शन का व्यावहारिक प्रशिक्षण।अनेक निर्वाण-साधकों व सिद्ध संतों का सान्निध्य, जिससे ध्यान और प्राणायाम की सूक्ष्म विधियाँ आत्मसात् कीं।
3. संन्यास-आश्रम में गहन तपरूप साधना (लगभग 11 वर्षों )बंधनों से निवृत्त हो हिमालय क्षेत्र के एक संन्यास आश्रम में प्रवेश।मौन-व्रत, स्वाध्याय तथा ध्यान-अनुष्ठानों द्वारा मानस-शुद्धि व आत्म-अनुभूति का लक्ष्य साधा।इस अन्तराल में अद्वैत वेदान्त, पतंजलि योगसूत्र व तंत्र-शास्त्र का गहरा अध्ययन; व्यक्तित्व में आध्यात्मिक तेज का संचार।
4. लौकिक क्षेत्र में पुनरागमन व समाज-सेवाआश्रम से लौटकर जन-कल्याण हेतु सेवा-मार्ग चुना—ज्योतिष परामर्श, वास्तु परिशोधन व शक्तिपात-ध्यान सत्रों के माध्यम से सहस्रों जीवनों को संतुलन प्रदान किया।‘समग्र कल्याण केंद्र’ की स्थापना, जहाँ वैदिक ज्योतिष, हस्तरेखा, अंक-ज्योतिष एवं वास्तु का समागम कर व्यक्तिनिष्ठ समाधान दिए जाते हैं।ध्यान-शिविरों, आध्यात्मिक यात्राओं तथा ऑनलाइन वेबिनारों द्वारा सेवा-दायरा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक विस्तृत।

5. विशेषज्ञता के प्रमुख आयामविधा विशिष्ट योगदान अनुभव-झलक ज्योतिष दशा-गोचर का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण, कर्म सुधार उपाय 25+ वर्ष, 10,000+ कुंडली-पाठहस्तरेखा रेखाओं व पर्वों से स्वभाव-मानस रहस्योद्घाटन विदेशियों सहित 6,000+ हाथों का अध्ययनवास्तु भू-नक्शे को पंचतत्त्वीय संतुलन से दैवी-ग्रह अनुकूल बनाना 700+ आवासीय/व्यावसायिक स्थलों का परामर्शअंक-ज्योतिष नाम-संशोधन व भाग्यांक समायोजन 4,500+ मंगल-सूत्रीकरण एवं संस्थान ब्रान्डिंगध्यान ब्रह्ममुद्रा, योगनिद्रा व सोहम-स्मरण विधि 300+ ध्यान-शिविर, 50,000+ साधक
6. शिक्षण-शैली व दर्शन“स्व-परिवर्तन ही विश्व-परिवर्तन” को मूल-मंत्र मानकर प्रत्येक साधक को आत्म-जवाबदेही के लिए प्रेरित करते हैं।शास्त्रों की मौलिकता को आधुनिक मनोविज्ञान से जोड़ कर सरल, वैज्ञानिक, व सरस भाष्य प्रस्तुत करते हैं।गुरुकृपा, स्वाध्याय और सेवा—इन तीन स्तम्भों पर आधारित जीवन-मोड्यूल विकसित किया।
7. उपलब्धियाँ व मान-सम्मानभारत के शीर्ष आध्यात्मिक सम्मेलनों में “श्रेष्ठ ज्योतिषाचार्य” व “वास्तु-रत्न” अलंकरण।
8. वर्तमान भूमिकाप्रतिदिन ऑनलाइन/ऑफ़लाइन परामर्श द्वारा जन-कल्याण; साथ ही प्रशिक्षु ज्योतिषियों व गुरु-परंपरा के साधकों को mentorship।शोध-कार्य: “ज्योतिषीय योग एवं डीएनए-कॉस्मिक अनुवांशिकता”—एक नवाचारी प्रकल्प।
9. भावी दृष्टिसमग्र आध्यात्मिक विश्वविद्यालय की परिकल्पना, जहाँ प्राचीन विद्या और समकालीन अनुसंधान का संगम हो।युवाओं में ध्यान-संस्कृति का बीजारोपण व वैश्विक-स्तर पर vedic mindfulness को लोकप्रिय बनाना।इस आध्यात्मिक पथिक ने 25 वर्षों की अविचल साधना, गुरुगम्यता और अनुसंधान के द्वारा अनेकों जीवनों में आलोक का संचार किया है। ज्योतिष से लेकर वास्तु-शास्त्र और ध्यान तक, उनकी प्रत्येक विद्या मानव-मात्र के अंतर्जागरण को समर्पित है। आज, वे ज्ञान-संचार और करुणा-सेवा की उज्ज्वल परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आधुनिक युग के ऋषि के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

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